Shayaries


ये अल्फाज नहीं, एहसास हैं मेरे दिल के,
तुम क्या जानो,
कितने गहरे, पुराने राज हैं मेरे दिल के,
तुम क्या जानो।
तुम सोंचते हो फासले दरमियाँ हैं मेरे उनके?
वो कितने करीब हैं, पास हैं मेरे दिल के,
तुम क्या जानो।
______________________________
दूर होकर मोहब्बत का इम्तहान लेती हो,
मेरी खुशियाँ,मेरा अमन,मेरी मुस्कान लेती हो;
रुक सी गई साँसें, धड़कनें भी थम गई,
इम्तहान नहीं, ऐसे मेरी जान लेती हो।
______________________________
हटा ले जुल्फ चेहरे से, जरा दीदार करने दे,
शरम के तोड़ दे बंधन,जरा सा प्यार करने दे;
हद से परे नादानियाँ अच्छी नहीं होती,
जो जी करे,करूँ मैं जितनी बार,करने दे।
______________________________
तू जानती है, इश्क बेपनाह तुमसे है,
गुस्ताखियाँ करने की मेरी चाह तुमसे है;
खातिर तुम्हारे प्रार्थना,पूजा,इबादत है,
ये मंदिर,ये गिरजाघर,ये दरगाह तुमसे है।
______________________________
दबी जो लफ्ज दिल में है, जुबाँ पर आ नहीं पाती,
नज़ाकत कर रही तेरी नज़र, और मेरी नज़रें भी;
जरा सोंचो करी गुस्ताखियाँ, मैंने कहाँ तुमसे,
झुकी तेरी भी नज़रें हैं,झुकी मेरी भी नज़रें हैं।
______________________________
यों तो दर-ओ-दीवार को, सजाता न था,
तेरे आने की खुशी है, बस इसलिए।
______________________________
हुस्न-ए-नज़ाकत का ज़लवे का शौक रखता हूँ,
इल्म-ए-आशिकी है, मोहब्बत का शौक रखता हूँ।
______________________________
इश़्क फ़रमाते हुए थकान हो गई,
तन-बदन एक शाम सी ब़ेजान हो गई;
फ़िर मिला एहसास तेरे नर्म अधरों का,
और, सारी रात तेरे नाम हो गई।
______________________________
तेरे होठों की थरथराहट अब भी मुझे याद है,
तेरी साँसों की गरमाहट अब भी मुझे याद है;
भूल गया कुछ बातें ये सच है मगर,
तेरे यौवन का बनावट अब भी मुझे याद है।

__मनीष सोलंकी