कहलायेगी आज से बेवफा

मेरा रूह मेरी जान मेरी जन्नत थी तुम ,
मेरी ज़िन्दगी की पहली ज़रुरत थी तुम ;
तुम से ही मेरा सारा जमाना था ,
मेरी रगों मे तेरा ही आना-जाना था ;
मेरा इशक मेरा प्यार,मोहब्बत थी तुम ,
मेरे जीने की एक बस मकसद थी तुम ;
हर हाल मे अपना बानाना था ,
तेरे संग अपनी दुनिया बसाना था।
मगर , ख्वाबों का क्या , टूट जाता है ,
कोई अपना ही जब रूठ जाता है ;
रूठ जाने को कोई वजह चाहिए ,
दूर जाने को कोई जगह चाहिए ;
जगह जानता हूँ , वजह तू बता ,
वर्ना कहलायेगी आज से बेवफा ।