कभी तो यूँ ही तुम्हे याद आती होगी मेरी
तेरे आँखों से आँसुयें भी छलकते होंगे
कभी तो बातें तुम्हे याद आती होगी मेरी
अधूरे रह गए सपने सभी चुभते होंगे
वो मेरा छेड़ना हर वक़्त तुमको बेमतलब
शरारतें मेरी तुम्हे खलती होंगी
वो तेरा रूठ के चेहरे को घुमा लेना,फिर
मेरा मनाना तुमको याद तो आता होगा
हमे है याद वो जुल्फों की भीनी सी खुशबू
तुम्हे भी हर छुअन की याद तो आती होंगी
कितने हसीन थे वो प्यार के कुछेक लम्हें
कभी ये होठो पर मुस्कान तो लाती होगी।
( कवि मनीष सोलंकी )
तेरे आँखों से आँसुयें भी छलकते होंगे
कभी तो बातें तुम्हे याद आती होगी मेरी
अधूरे रह गए सपने सभी चुभते होंगे
वो मेरा छेड़ना हर वक़्त तुमको बेमतलब
शरारतें मेरी तुम्हे खलती होंगी
वो तेरा रूठ के चेहरे को घुमा लेना,फिर
मेरा मनाना तुमको याद तो आता होगा
हमे है याद वो जुल्फों की भीनी सी खुशबू
तुम्हे भी हर छुअन की याद तो आती होंगी
कितने हसीन थे वो प्यार के कुछेक लम्हें
कभी ये होठो पर मुस्कान तो लाती होगी।
( कवि मनीष सोलंकी )