ये वो राजपुताना है

सत्ता, शासन, राजकर्म से रिश्ता बहुत पुराना है,
जिसकी वीरता का समस्त विश्व ने लोहा माना है,
करता आया भारत भूमि की सेवा जो सदियों से,
मत भूलो ऐ तुच्छ शासकों ये वो राजपुताना है।
जिसने स्वाभिमान के लिए शीश कटाना जाना है,
प्रजा का हित परम कर्म है जिसने ऐसा माना है,
जिसने पर स्त्रियों को माताओं सा सम्मान दिया,
मत भूलो ऐ तुच्छ शासकों ये वो राजपुताना है।
पूछ रहा हूँ एक सवाल, प्रथम यही और अंतिम भी,
बंद करोगे अत्याचार या इतिहास दुहराना है ?
लाखों पृथ्वीराज अभी और लाखों ही महाराणा हैं,
मत भूलो ऐ तुच्छ शासकों ये वो राजपुताना है।