प्रेम कलह

अधर मधुर कलिका कोमल
यौवन दुग्ध ऊफान,
रैन अंधेरी प्रीतम संग
सेज तोड़ तूफान;
मंद मधुर सिसकारियाँ
मंद प्रज्वलित ज्योत,
तीव्र गतिमय प्रेम- कलह
रसमय ओत-प्रोत;
तरंग मंद प्रवाहमय
माधुर मदमय गंध,
कामातुर वातावरण
कामी चरमानन्द।
___मनीष सोलंकी