नहीं रही अब मधुशाला

बिहार में शराब बंद होने के बाद हालात कुछ इस प्रकार:-> नहीं बनेगी मृदु भावों के अंगूरों की अब हाला,
नहीं कहेगा प्रियतम कोई नहीं मिलेगा अब प्याला;
नहीं किसी का भोग लगेगा
न प्रसाद कोई पाएगा,
नहीं किसी का स्वागत होगा
नहीं रही अब मधुशाला। विश्व तपाकर भी प्यासे को
नहीं मिलेगी अब हाला,
कैसे नाचे साकी सुंदर
हाथ न होगा जब प्याला? जीवन की मधुता तो साकी
वार चुका तुझपर कबका,
अब न्योछावर करे भी क्या
नहीं रही जब मधुशाला।
बजती मंदिर में घड़ियाली,
चढ़ती प्रतिमा पर माला;
कैसे बैठे भवन मुअक्विन,
देकर मस्जिद में ताला?
भरे खजाने नरपतियों के, गढ़ों की ऊँची दीवारें; खाक मुब्बारक पीने वाले, कहीं नहीं जो मधुशाला। .............क्रमशः