नहीं रही अब मधुशाला
बिहार में शराब बंद होने के बाद हालात कुछ इस प्रकार:-> नहीं बनेगी मृदु भावों के अंगूरों की अब हाला, नहीं कहेगा प्रियतम कोई नहीं मिलेगा अब प्याला; नहीं किसी का भोग लगेगा न प्रसाद कोई पाएगा, नहीं किसी का स्वागत होगा नहीं रही अब मधुशाला। विश्व तपाकर भी प्यासे को नहीं मिलेगी अब हाला, कैसे नाचे साकी सुंदर हाथ न होगा जब प्याला? जीवन की मधुता तो साकी वार चुका तुझपर कबका, अब न्योछावर करे भी क्या नहीं रही जब मधुशाला। बजती मंदिर में घड़ियाली, चढ़ती प्रतिमा पर माला; कैसे बैठे भवन मुअक्विन, देकर मस्जिद में ताला? भरे खजाने नरपतियों के, गढ़ों की ऊँची दीवारें; खाक मुब्बारक पीने वाले, कहीं नहीं जो मधुशाला। .............क्रमशः __मनीष सोलंकी trivoo.net