बुड़बक बनाते हैं
भारत के भोले लोगों को बुड़बक बनाते हैं खुद को ये साधु-संत और ज्ञानी बताते हैं, ये नाम मोदी, रामदेव जैसे हैं मगर है वर्ग वही जिसमें आशाराम आते हैं। थोड़े हैं छुट्टे लोग, थोड़े आर एस एस से कहते थे काला धन को लाएँगे विदेश से, क्या खो गई है सूची जिसमें नाम सब के थे? या फिर हैं भाजपा के ज्यादा काँग्रेस से? अच्छे दिनों के ख्वाब सारे टूट ही गए जो कुछ थे नोटबंदी में वो लुट ही गए, महिला थी एक मित्र वो भी छोड़कर गई उनकी भी छूटी थी हमारे छूट ही गए। जनता बिलख रही है कोई सुध नहीं है छाती बहुत बड़ी है मगर दूध नहीं है, वो नरपति जो भोगी और...