तुझे देखने को उत्सुक रहता हूँ ,
कुछ कहने से पर डरता हूँ ,
तुम याद बहुत ही आती हो,
मैं प्यार तुम्हीं से करता हूँ ;
तड़पा न ऐसे ओ सनम ,
आ प्यार कर लें मिलके हम ;
दिल में हैं अरमा बहुत ही ,
पर ,कहने से ही डरता हूँ ,
तुम याद बहुत ही आती हो ,
मैं प्यार तुम्हीं से करता हूँ ;
ना ऐश ,ना शिल्पा से कम ,
तुम देखने में हो पूनम ,
तेरा नाम भी तो वही है ,
जो वास्तव में सही है;
ये सब बातें इस काव्य मे,
इजहार तुम्ही से करता हूँ ,
तुम याद बहुत ही आती हो ,
मै प्यार तुम्हीं से करता हूँ ;
ए जानेमन सुन ले जरा ,
ये प्यार का इजहार है ,
कुछ भी समझ इसको मगर ,
ये प्यार है,बस प्यार है ;
आँखें बंद करूँ जब भी ,
दीदार तेरा ही करता हूँ ,
तुम याद बहुत ही आती हो ,
मैं प्यार तुम्हीं से करता हूँ;
मैं सोंचता हूँ हर वक़्त तुझे ,
हर वक़्त तू मेरी बातों में ,
हर पल मैं चाहूँ तुझको ,
तू हर पल मेरी सासों में ;
बैठ तेरे तस्वीर के आगे ,
आहें भरते रहता हूँ ,
तुम याद बहुत ही आती हो,
मै प्यार तुम्हीं से करता हूँ ;
कहने कि हिम्मत भले न हो,
पर ,प्यार बहुत ही दिल में है,
क्या होगा तेरा उत्तर ,
ये सोच के दिल मुश्किल में है;
दो लफ्ज़ में ना कह पाया तो,
दो पंक्ति में लिख देता हूँ ,
तुम याद बहुत ही आती हो,
मैं प्यार तुमहीं से करता हूँ ;
तू सुन लेना इजहार मेरा,
तू करले मुझसे प्यार जरा ,
लिख देना कोरे कागज पे ,
दो पंक्ति भी इजहार भरा ;
किसी और की ना होना,
बस यही गुजारिश करता हूँ ,
तुम याद बहुत ही आती हो ,
मैं प्यार तुम्हीं से करता हूँ।
(कवि मनीष सोलंकी )
कुछ कहने से पर डरता हूँ ,
तुम याद बहुत ही आती हो,
मैं प्यार तुम्हीं से करता हूँ ;
तड़पा न ऐसे ओ सनम ,
आ प्यार कर लें मिलके हम ;
दिल में हैं अरमा बहुत ही ,
पर ,कहने से ही डरता हूँ ,
तुम याद बहुत ही आती हो ,
मैं प्यार तुम्हीं से करता हूँ ;
ना ऐश ,ना शिल्पा से कम ,
तुम देखने में हो पूनम ,
तेरा नाम भी तो वही है ,
जो वास्तव में सही है;
ये सब बातें इस काव्य मे,
इजहार तुम्ही से करता हूँ ,
तुम याद बहुत ही आती हो ,
मै प्यार तुम्हीं से करता हूँ ;
ए जानेमन सुन ले जरा ,
ये प्यार का इजहार है ,
कुछ भी समझ इसको मगर ,
ये प्यार है,बस प्यार है ;
आँखें बंद करूँ जब भी ,
दीदार तेरा ही करता हूँ ,
तुम याद बहुत ही आती हो ,
मैं प्यार तुम्हीं से करता हूँ;
मैं सोंचता हूँ हर वक़्त तुझे ,
हर वक़्त तू मेरी बातों में ,
हर पल मैं चाहूँ तुझको ,
तू हर पल मेरी सासों में ;
बैठ तेरे तस्वीर के आगे ,
आहें भरते रहता हूँ ,
तुम याद बहुत ही आती हो,
मै प्यार तुम्हीं से करता हूँ ;
कहने कि हिम्मत भले न हो,
पर ,प्यार बहुत ही दिल में है,
क्या होगा तेरा उत्तर ,
ये सोच के दिल मुश्किल में है;
दो लफ्ज़ में ना कह पाया तो,
दो पंक्ति में लिख देता हूँ ,
तुम याद बहुत ही आती हो,
मैं प्यार तुमहीं से करता हूँ ;
तू सुन लेना इजहार मेरा,
तू करले मुझसे प्यार जरा ,
लिख देना कोरे कागज पे ,
दो पंक्ति भी इजहार भरा ;
किसी और की ना होना,
बस यही गुजारिश करता हूँ ,
तुम याद बहुत ही आती हो ,
मैं प्यार तुम्हीं से करता हूँ।
(कवि मनीष सोलंकी )