जुल्फें हो काली रात तो ,तारे तेरी जुल्फों के जूं ;
जुल्फें हो हो सागर की लहर ,मोती तेरे जुल्फों के जूं ;
जुल्फें अगर घटा हो तो ,बूँदें तेरी जुल्फों के जूं ;
जुल्फें हो गर झाड़ी तेरी , शबनम तेरी जुल्फों के जूं ;
कितना मनोहर दृश्य है ,कैसे कहूँ और क्या कहूँ ?
शब्द फीके पड़ रहे , अनमोल हैं जुल्फों के जूं।