जननी

नौ माहे गर्भस्थ को राख्यो ,
फिर ,वक्ष -स्थल राख्यो चिपकाए  ;
दुग्धामृत से सिंचित करयो ,
आँचल तल में रखा छुपाए।

थपकी दे - दे लोरी गायो ,
बड़े जतन  से दियो सुलाए ;
स्वयं जाग्यो रैना सारी ,
सोच के लल्ला जाग न जाए।

खोयो अपनी सुधि ,समर्पित
रहने पालन -पोषण को ;
जननी  तेरी महिमा अदभुत ,
सोलंकी से लिखी न जाए ....



जीवन ; एक संघर्ष पेट की खातिर
इजहारइजहार-२
इजहार-३ ब्रेकअप पार्टी
विवाह वासना की उपासाना
नारी देश के दुश्मन
कि जो तु मुस्कुराती है अब कहा
ऐसी जुदाई क्या खूब लड़े नैना मेरे
बदहाल पश्चाताप
पत्नी - देवी उमंग
Desire इश्क घटनाक्रम
बसंती हवा अचरज
ये जमाना हनीमून
विनय दिल मांगे मोर
व्यथा मुझको मेरा प्यार मिला
जुल्फों के जूं अधूरे सपने
निराशा सखे
ग़ज़ल जननी
मैं कलाकार, संगमरमर बदन